फोकस कीवर्ड: टॉम हार्टले, लंकाशायर की जीत, स्पिन गेंदबाज़ी, ग्लॉस्टरशायर बनाम लंकाशायर
मेटा विवरण: टॉम हार्टले की फिरकी का जादू चला, लंकाशायर ने ग्लॉस्टरशायर को 9 विकेट से हराया। जानिए मैच का पूरा हाल और कैसे हार्टले ने लिए 10 विकेट।

टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी खूबसूरती उसकी रणनीति, धैर्य और कौशल में छिपी होती है। इसी का जीवंत उदाहरण रहा ग्लॉस्टरशायर बनाम लंकाशायर के बीच खेला गया यह मुकाबला, जिसमें एक नाम हर चर्चा का केंद्र बना — टॉम हार्टले।
इस युवा स्पिन गेंदबाज़ ने अपनी करिश्माई गेंदबाज़ी से लंकाशायर को 9 विकेट से यादगार जीत दिलाई। मैच में हार्टले ने 10 विकेट लेकर न केवल विरोधी बल्लेबाज़ों की कमर तोड़ी बल्कि अपने करियर का भी अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
🔥 पहले से ही संकट में थी ग्लॉस्टरशायर
ग्लॉस्टरशायर पहले से ही पिछली पारी के पतन से जूझ रही थी। दूसरी पारी में उनका लक्ष्य था कि कम से कम दो सत्र बल्लेबाज़ी करके दबाव से निकल सकें, लेकिन हालात उनके खिलाफ थे।
ओपनर कैमरन बैनक्रॉफ्ट और चार्ल्सवर्थ पर टीम को मजबूत शुरुआत देने की ज़िम्मेदारी थी, लेकिन पहले ही ओवर में जेम्स एंडरसन ने बैनक्रॉफ्ट को चलता किया। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ अपने रात भर के 35 रन से आगे नहीं बढ़ सके और मिडविकेट पर कैच दे बैठे।
चार्ल्सवर्थ ने संघर्ष किया और 71 रन बनाए, लेकिन बाल्डरसन की गेंद पर उनका भी विकेट गिर गया। इसके बाद ओली प्राइस ने टॉम हार्टले की एक बाहर जाती गेंद को छेड़ दिया और स्लिप में कैच थमा बैठे। इस समय तक ग्लॉस्टरशायर 134-3 हो चुकी थी — और अभी भी पिछली पारी से 42 रन पीछे थी।
🥵 पहला सत्र: तीन विकेट, फिर एक और झटका

ग्लॉस्टरशायर पर संकट और गहराता गया। माइल्स हैमंड को अंपायर ने LBW आउट करार दिया, और लंच तक स्कोर 168/4 हो गया। अब टीम की उम्मीदें टिक गईं ग्लेन फिलिप्स पर, जो 35 रन पर नाबाद थे।
दोपहर के सत्र में फिलिप्स ने धैर्य दिखाया और 91 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया। उन्होंने जेम्स ब्रेसी के साथ मिलकर पिछला घाटा पाटने की कोशिश की, लेकिन ब्लाथरविक की एक शॉर्ट गेंद पर ब्रेसी भी आउट हो गए।
थोड़ी ही देर में फिलिप्स भी हार्टले की जादुई गेंद पर शॉर्ट लेग में कैच हो गए। उन्होंने 110 गेंदों में 8 चौके जड़े थे और तीन घंटे तक टिके रहे। लेकिन उनके जाने के बाद बाकी बल्लेबाज़ एक-एक कर ढहते चले गए।
🧠 हार्टले का मैजिक – क्लासिक स्पिन गेंदबाज़ी
टॉम हार्टले ने लगातार दबाव बनाए रखा। उन्होंने सिर्फ विकेट ही नहीं लिए, बल्कि बल्लेबाज़ों की मानसिकता को भी तोड़ दिया।
उनकी गेंदबाज़ी में वैरायटी, गति में बदलाव और लोकेशन की सटीकता देखने लायक थी। उन्होंने वैन बुरेन को आगे बढ़कर खेलने पर मजबूर किया और विकेट के पीछे कैच करवाया।
इस बीच, टॉड मर्फी ने आक्रामक खेल दिखाया और जमान अख्तर के साथ 41 रनों की साझेदारी की, लेकिन यह साझेदारी भी ज्यादा देर नहीं चली।
ग्रीन ने अख्तर को वापस पवेलियन भेजा और फिर हार्टले ने चाय से पहले ही मर्फी को बोल्ड कर दिया, जो 33 रन बनाकर संघर्ष कर रहे थे। इसके साथ ही हार्टले को अपने करियर की पहली 10 विकेट हॉल पूरी हुई।
आखिरी विकेट के रूप में मार्चेंट डे लैंग को भी हार्टले ने शॉर्ट स्क्वायर लेग में कैच करवा दिया और ग्लॉस्टरशायर की पारी 268 पर सिमट गई।
✅ आसान रहा जीत का रास्ता
लक्ष्य केवल 93 रनों का था। लंकाशायर ने इस लक्ष्य को सिर्फ एक विकेट खोकर हासिल कर लिया। सलामी बल्लेबाज़ों ने संभलकर खेला और किसी भी तरह की जल्दबाज़ी नहीं दिखाई।
जीत के हीरो रहे टॉम हार्टले, जिनकी फिरकी गेंदबाज़ी ने यह साबित कर दिया कि स्पिन गेंदबाज़ आज भी टेस्ट क्रिकेट में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
📌 निष्कर्ष
“स्पिन के जादूगर हार्टले” का यह प्रदर्शन न केवल उनके करियर की उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब स्पिन गेंदबाज़ को अनुकूल परिस्थितियाँ मिलती हैं, तो वह मैच का रुख पलट सकता है।
लंकाशायर ने इस जीत से न केवल अंक बटोरे, बल्कि यह भी जता दिया कि उनकी टीम में संतुलन, अनुभव और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
