“20 साल की भागमभाग खत्म: बैंक धोखाधड़ी में वांछित महिला आखिरकार CBI के शिकंजे में”

📝 CBI की दो दशक पुरानी कार्रवाई को मिली सफलता: जानिए कैसे इंदौर से पकड़ी गई महिला भगोड़ा

CBI ने एक ऐसे मामले में बड़ी सफलता हासिल की है, जिसमें उसे लगभग 20 सालों से एक महिला भगोड़े की तलाश थी। यह महिला 2007 में दर्ज एक बैंक धोखाधड़ी के मामले में फरार चल रही थी और आखिरकार उसे मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर लिया गया।

इस गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया है कि कानून से कोई नहीं बच सकता, चाहे वह कितने भी सालों तक छिपा क्यों न रहा हो।

📌 क्या है पूरा मामला?

यह केस 2007 में बेंगलुरु में दर्ज हुआ था, जिसमें रामानुजम मुथुरामालिंगम शेखर और उनकी पत्नी (गिरफ्तार महिला) को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से लोन फंड्स के दुरुपयोग के आरोप में CBI ने चार्जशीट किया था।

आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज़ों और गलत जानकारी देकर बैंक से मोटी रकम का लोन लिया और उसका इस्तेमाल अन्य गैर-कानूनी उद्देश्यों में किया। जब जांच शुरू हुई, तो महिला आरोपी फरार हो गई और पिछले लगभग 18-20 सालों से CBI को चकमा देती रही।

🕵️‍♀️ CBI की लगातार निगरानी और छानबीन

CBI ने इस भगोड़े महिला को पकड़ने के लिए लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी का सहारा लिया।

इतने सालों में वह अलग-अलग नाम और पहचान के साथ भारत के कई हिस्सों में छिपती रही, लेकिन आखिरकार इंदौर में उसकी मौजूदगी की पुख्ता सूचना मिलने पर CBI ने तुरंत कार्रवाई की और उसे गिरफ्तार कर लिया।

🗣️ CBI का आधिकारिक बयान:

CBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:

“हमने तकनीकी और मानवीय इनपुट के ज़रिए महिला की पहचान और ठिकाना ढूंढा। इतने वर्षों बाद भी हमने अपना फोकस नहीं खोया, और अंततः कानून के हाथ लंबे साबित हुए।”

⚖️ अब क्या होगा आगे?

आरोपी महिला को इंदौर से गिरफ्तार कर बेंगलुरु लाया जाएगा, जहां इस केस की सुनवाई चल रही है।

उसे अदालत में पेश किया जाएगा और उसके बाद न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की संभावना है।

यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो उसे धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वास का हनन), और बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के तहत कड़ी सजा हो सकती है।

📊 महत्वपूर्ण बिंदु (Summary Points):

📍 केस दर्ज: 2007, बेंगलुरु में

🏦 धोखाधड़ी: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लोन फंड्स का दुरुपयोग

👨‍👩‍👧‍👦 आरोपी: महिला और उसका पति रामानुजम मुथुरामालिंगम शेखर

🚨 गिरफ्तारी: जुलाई 2025, इंदौर

📂 एजेंसी: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)

⚖️ अगला कदम: न्यायालय में पेशी और ट्रायल

💡 इस केस से क्या सबक मिलता है?

यह घटना कानून के प्रति आस्था को और मजबूत करती है। यह दिखाती है कि अगर आप अपराध करते हैं, तो आप लंबे समय तक भले ही छिप सकें, लेकिन बच नहीं सकते।
CBI जैसी एजेंसियाँ अपने लक्ष्य को लेकर वर्षों तक काम करती हैं और आखिरकार अपराधियों को पकड़ ही लेती हैं।

🏁 निष्कर्ष

“20 साल की भागमभाग खत्म” — ये सिर्फ एक हेडलाइन नहीं, बल्कि एक कड़वी सच्चाई है कि कानून से बचना आसान नहीं है।
CBI की यह कार्रवाई यह साबित करती है कि हर अपराध का हिसाब होता है, चाहे वो आज हो या दो दशक बाद।

इंदौर से महिला की गिरफ्तारी ने न सिर्फ न्याय प्रक्रिया को आगे बढ़ाया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि न्याय की डोर भले धीमी हो, लेकिन मजबूत होती है।

https://www.deccanherald.com/india/madhya-pradesh/cbi-nabs

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *