📌 प्रस्तावना
भारत की शिक्षा प्रणाली का आधार मजबूत बनाने में केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) और नवोदय विद्यालय समिति (NVS) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। ये संस्थान देशभर के करोड़ों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। लेकिन हाल ही में संसद में पेश की गई जानकारी के अनुसार, इन संस्थानों में 12,000 से अधिक शिक्षक पद खाली पड़े हैं। यह स्थिति शिक्षा क्षेत्र की गंभीर चुनौतियों की ओर संकेत करती है।

📊 रिक्त पदों की विस्तृत जानकारी
केंद्रीय राज्य मंत्री (शिक्षा) जयंत चौधरी ने 24 जुलाई 2025 को संसद में बताया कि:
केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalayas) में 7,765 शिक्षक पद अभी तक खाली हैं।
नवोदय विद्यालयों (Navodaya Vidyalayas) में 4,323 शिक्षक पद रिक्त हैं।
कुल मिलाकर, 12,088 शिक्षक पद देशभर के सरकारी विद्यालयों में खाली हैं जो सीधे तौर पर छात्रों की पढ़ाई और शैक्षणिक माहौल को प्रभावित कर रहे हैं।
📚 इन रिक्तियों के प्रभाव
- छात्र-शिक्षक अनुपात बिगड़ रहा है:
केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात पहले ही एक बड़ी चिंता है। रिक्त पदों के कारण एक शिक्षक पर कई कक्षाओं का भार आ जाता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। - ग्रामीण क्षेत्रों पर अधिक प्रभाव:
नवोदय विद्यालय अधिकतर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में स्थित हैं। ऐसे में वहां शिक्षकों की कमी छात्रों के भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। - विषय विशेषज्ञों की कमी:
विज्ञान, गणित, अंग्रेज़ी और कंप्यूटर जैसे विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय शिक्षा नहीं मिल पा रही है। - छात्रों की प्रतियोगी तैयारी पर असर:
जेईई, नीट, एनडीए आदि की तैयारी करने वाले छात्रों को सही मार्गदर्शन और शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जिससे उनके भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
https://www.thehindu.com/education/over-12000-teaching-posts-vacant-in-kendriya
🛠️ सरकारी प्रयास और चुनौतियां
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि रिक्त पदों को भरने के लिए नियमित रूप से भर्ती प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसमें कई प्रशासनिक अड़चनें आती हैं:
भर्ती परीक्षाएं समय पर नहीं हो पातीं।
चयन प्रक्रिया में देरी होती है।
कुछ पदों पर उपयुक्त अभ्यर्थियों की कमी भी होती है।
KVS और NVS दोनों समय-समय पर नोटिफिकेशन जारी करते हैं, लेकिन भर्ती पूरी होने में अक्सर कई महीने लग जाते हैं।

✅ संभावित समाधान
- फास्ट-ट्रैक भर्ती प्रक्रिया अपनाई जाए ताकि समय रहते पद भरे जा सकें।
- गेस्ट टीचर या अस्थायी शिक्षक की तैनाती की जाए जब तक स्थायी नियुक्ति नहीं होती।
- ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म का बेहतर उपयोग किया जाए ताकि दूर-दराज के छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
- राज्य सरकारों के साथ समन्वय बनाकर खाली पदों पर प्राथमिकता दी जाए।
🔍 निष्कर्ष
देश की शिक्षा प्रणाली की रीढ़ माने जाने वाले KVS और NVS में शिक्षकों की भारी कमी निश्चित ही चिंता का विषय है। अगर समय रहते इन रिक्त पदों को नहीं भरा गया, तो आने वाले समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सपना अधूरा रह जाएगा। शिक्षा मंत्रालय को चाहिए कि वह इस दिशा में ठोस और तेज़ कदम उठाए ताकि छात्रों को उनका उचित शैक्षणिक अधिकार मिल सके।
शिक्षकों की कमी से शिक्षा की गुणवत्ता पर संकट

देश भर के केंद्रीय विद्यालयों (KVS) और नवोदय विद्यालयों (NVS) में 12,000 से अधिक शिक्षक पदों की रिक्तता केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गहराई से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। इन दोनों संस्थानों को विशेष रूप से प्रतिभाशाली छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और समान अवसर वाली शिक्षा देने के लिए स्थापित किया गया था। लेकिन आज जब हजारों पद खाली हैं, तो न सिर्फ पढ़ाई बाधित हो रही है, बल्कि छात्रों का आत्मविश्वास और भविष्य भी प्रभावित हो रहा है।विशेषज्ञों के अनुसार, विज्ञान, गणित और अंग्रेज़ी जैसे प्रमुख विषयों के शिक्षक सबसे अधिक अनुपलब्ध हैं। यही कारण है कि कई विद्यालयों में विषय विशेष की कक्षाएं नियमित रूप से नहीं हो पा रही हैं। इससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है।सरकार को चाहिए कि वह विशेष भर्ती अभियान चलाकर इन पदों को शीघ्र भरे। साथ ही, अस्थायी तौर पर गेस्ट टीचर या डिजिटल लर्निंग मॉडल को सशक्त बनाया जाए, ताकि शिक्षा में कोई रुकावट न आए।
