🌾 1. योजना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
मध्यप्रदेश सरकार 15 अगस्त 2025 से एक ऐतिहासिक और नवाचारी पहल शुरू करने जा रही है—‘एक बगिया मां के नाम’ योजना। इसका मुख्य उद्देश्य है ग्रामीण महिलाओं को न केवल खेती में भागीदारी देना, बल्कि उन्हें जमीन की मालिक बनाना और स्थायी आय का स्रोत प्रदान करना।
यह योजना महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता, सामाजिक सम्मान, और पर्यावरण संरक्षण तीनों उद्देश्यों को एक साथ पूरा करने वाली है।
🧑🏫 2. प्रशिक्षण कार्यक्रम: प्रभावी क्रियान्वयन की नींव

योजना के सफल संचालन हेतु भैरूंदा जनपद पंचायत सभागार में कृषि सखियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें जनपद पंचायत सीईओ संजय अग्रवाल और एपीओ शैलेन्द्र वर्मा द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य था:
योजना के सभी प्रावधानों की स्पष्ट जानकारी देना।
हितग्राही चयन में पारदर्शिता और सावधानी बरतने के निर्देश देना।
इसका मकसद है कि केवल योग्य और जरूरतमंद महिलाएं ही योजना का लाभ प्राप्त कर सकें।
💰 3. योजना के अंतर्गत वित्तीय सहयोग (मनरेगा से जुड़ाव)
‘एक बगिया मां के नाम’ योजना को मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से जोड़ा गया है। इस योजना में महिलाओं के परिवार की निजी भूमि (0.5 से 1 एकड़) पर फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा।

मुख्य शर्तें:
हितग्राही के पास सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए।
सिंचाई सुविधा न होने पर जल कुंड बनवाना अनिवार्य होगा।
आर्थिक सहयोग:
पौधारोपण, फेंसिंग और तीन साल तक रखरखाव के लिए सरकार द्वारा ₹2.85 लाख से ₹3 लाख तक की सहायता दी जाएगी।
दूसरे वर्ष 42 दिन और तीसरे वर्ष 35 दिन की मनरेगा मजदूरी भी प्रदान की जाएगी।
🌱 4. पर्यावरण और आजीविका: दोहरे लाभ का मॉडल
यह परियोजना एक हरित क्रांति के रूप में कार्य करेगी। प्रत्येक विकासखंड में कम से कम 100 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इससे न सिर्फ:
महिलाओं को स्थायी आय मिलेगी,
बल्कि पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलेगा।
📲 5. तकनीक से पारदर्शिता: मोबाइल ऐप के जरिए चयन
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता इसका डिजिटल और पारदर्शी क्रियान्वयन है।
हितग्राहियों का चयन ‘एक बगिया मां के नाम’ मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जाएगा।
इससे भ्रष्टाचार और पक्षपात की संभावना समाप्त होगी।
वास्तविक जरूरतमंद और पात्र महिलाओं तक योजना का लाभ पहुंचेगा।
👩🌾 6. महिलाओं के लिए बड़ा अवसर: सामाजिक बदलाव की शुरुआत
इस योजना से महिलाएं अब सिर्फ घर की रसोई तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि:
खेती-बाड़ी की निर्णायक भूमिका में आएंगी।
बैंकिंग, कृषि ऋण और सरकारी योजनाओं में सीधे लाभार्थी बनेंगी।
उनके पास अपना नाम दर्ज जमीन का दस्तावेज होगा—जो आत्मविश्वास, सम्मान और आर्थिक सुरक्षा की पहचान बनेगा।

📣 7. अधिकारियों और कृषि सखियों की भूमिका
योजना से जुड़े अधिकारियों और कृषि सखियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अधिक से अधिक पात्र महिलाओं को योजना से जोड़ें।
हर गांव में जाकर जागरूकता अभियान चलाएं।
तकनीकी सहायता और आवेदन में मार्गदर्शन करें।
वृक्षारोपण और रखरखाव की निगरानी सुनिश्चित करें।
🎯 8. निष्कर्ष: बगिया से आत्मनिर्भरता की ओर
‘एक बगिया मां के नाम’ योजना केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। यह एक ऐसा बीज है जो महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण सुरक्षा और ग्रामीण विकास—तीनों की फसल एक साथ उगाने वाला है।
मध्यप्रदेश सरकार की यह पहल निश्चित ही देश के बाकी राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
