“शांति का योद्धा: Washington Sundar की अनदेखी पर गरज उठे पिता”भारतीय क्रिकेट टीम में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन जब प्रतिभा को लगातार अनदेखा किया जाए, तब सवाल उठते हैं—क्या सिर्फ हुनर ही काफी है या किसी खिलाड़ी को निरंतरता के लिए किस्मत भी चाहिए? यही सवाल आज Washington Sundar के पिता उठा रहे हैं।
🏏 एक टेस्ट में शतक, फिर भी बाहर ? इंग्लैंड
🎯 2018 Nidahas Trophy: जब दुनिया ने पहचाना था Washington Sundar ने 2018 में Nidahas Trophy में 8 विकेट लेकर सबसे सफल गेंदबाज़ का खिताब जीता था। यह उनका पहला विदेशी दौरा था, और उन्होंने बेहतरीन इकॉनमी के साथ प्रदर्शन किया।> “उसके बाद RCB ने 11 लगातार मैचों तक उसे प्लेइंग इलेवन से बाहर रखा। सोचिए उसकी मानसिक स्थिति क्या रही होगी?” — पिता एम सुंदर

⚡ IPL में शानदार शुरुआत, फिर नजरअंदाज IPL 2022 (SRH): पहली ही पारी में 14 गेंदों में 40 रन की तूफानी बल्लेबाज़ी। लेकिन अगले मैच में नंबर 6 पर भेज दिया गया।IPL 2025 Eliminator (GT vs MI): 24 गेंदों में 48 रन। टीम मुश्किल में थी, लेकिन सुंदर ने दम दिखाया। फिर भी, उन्हें अगले मैचों में नियमित जगह नहीं मिली।> “GT हो या कोई और फ्रेंचाइज़ी, कोई भी उसे नियमित मौके नहीं देती। जब तक आप खिलाड़ी को लगातार नहीं आज़माएंगे, वह आत्मविश्वास कैसे विकसित करेगा?”
🏠 घरेलू क्रिकेट में भी नहीं मिली स्थिरतासुंदर के पिता ने यह भी कहा कि घरेलू क्रिकेट में भी उसे स्थिरता से खेलने का मौका नहीं दिया गया।> “Yashasvi Jaiswal को देखिए—RR ने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया। Washington को वैसा समर्थन कभी नहीं मिला।”

💔 चयनकर्ताओं पर तीखा सवालसवाल सिर्फ एक चयन या एक मैच का नहीं है। सवाल यह है कि क्या बार-बार खुद को साबित करने वाला खिलाड़ी हर बार खुद को नए सिरे से साबित करने को मजबूर रहेगा? सुंदर के पिता कहते हैं:> “अगर खिलाड़ी हर बार साबित करने के बाद भी उपेक्षित रहे, तो यह सिस्टम के साथ अन्याय है।”
🧠 मानसिक दबाव और शांति का जवाबWashington Sundar ने कभी मीडिया के सामने शिकायत नहीं की। उन्होंने अपने बल्ले और गेंद से जवाब दिया। “शांति से युद्ध लड़ना भी एक कला है,” और सुंदर उसी शांति के योद्धा हैं।
🌐 सोशल मीडिया पर उभरी आवाज़: #JusticeForSundar”शतक मारने के बाद भी टीम से बाहर? यह तो टैलेंट का अपमान है।””Washington Sundar deserves better. Give him consistency.”यह ट्रेंड दर्शाता है कि जनता अब चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता चाहती है।

📌 निष्कर्ष: क्या प्रतिभा को इंसाफ मिलेगा?Washington Sundar की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि उन सभी प्रतिभाओं की है जिन्हें मंच तो दिया जाता है, लेकिन फिर उन्हें छीन लिया जाता है—बिना वजह। उनके पिता की पीड़ा हर उस अभिभावक की आवाज़ है जो अपने बच्चे की मेहनत को फलते देखना चाहता है।अब गेंद चयनकर्ताओं के पाले में है।https://sports.ndtv.com/england-vs-india-2025/news
